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बच्चों के व्यवहार का प्रबंधन कैसे करें?

 (अनु अग्रवाल)

एक कहावत है – जितनी सावधानी से छोटी मछली के व्यंजन पकाए जाते हैं उतनी ही नजाकत से एक परिवार को संभालना पड़ता है| परिवार में सबसे अधिक सावधानी और नजाकत से जिसको संभालना पड़ता है वो बच्चे होते हैं | हर दौर के माता-पिता और बच्चों के बीच रिश्ते बदलते रहे हैं | हर दौर के अभिभावक मानते हैं कि वे अपने माता-पिता से अच्छी परवरिश अपने बच्चों को दे सकते हैं | आजकल माता-पिता बच्चों की परवरिश बड़ी गम्भीरता से करते हैं | उनकी कोशिश रहती है कि वे अपने बच्चों को वो हर चीज़ उपलब्ध करवाएं जो उन्हें हासिल नहीं हुई इसलिए बच्चों को बिना माँगे बहुत कुछ मिल रहा है | माता-पिता अपने बच्चों के दोस्त कहलवाना पसंद करते हैं पर कभी कभी ये दोस्ताना रिश्ते हद पार कर जाते हैं और अभिभावकों को पता भी नहीं चलता| कई माता-पिता अपने बच्चों को भगवान का दर्जा देकर उन्हें सिर पर बिठा कर रखते हैं यहीं बच्चे मनमानी करने लगते हैं, माता-पिता के साथ अनुचित व्यवहार करने लगते हैं तब माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाती  है बच्चों के मुश्किल व्यवहार को संभालना | कई बच्चे असाधारण रूप से अजीब या बुरा व्यवहार करते हैं ऐसा माना जाता है कि जब एक बच्चे की सोच बंद हो जाती है तो वह अनुचित करता है क्योंकि उसके कार्य करने से पहले उस कार्य के परिणाम को वह सोच नही पाता उसकी सोच की क्षमता समाप्त हो जाती है ऐसे में माता-पिता असहाय महसूस करने लगते हैं वे बच्चों के व्यवहार से निराश हो जाते हैं उससे निपटने के उपाय ढूँढ़ते हैं बच्चों को नियंत्रित न कर पाने के कारण शर्मिंदा महसूस करते हैं| यहाँ तक कि कई अभिभावक तो अपने बच्चों को नापसंद करने लगते हैं| परन्तु वास्तविकता यह है कि बच्चे बुरे नहीं होते उनका व्यवहार बुरा होता है| यह बुरा व्यवहार किसी कारणवश होता है| माता-पिता को इन्हीं कारणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए इसके लिए माता-पिता को चाहिए कि वे घर में भावनात्मक वातावरण स्थापित करें| बच्चों के दोस्त बनें पर हमेशा एक हल्की दूरी बनाए रखें | बच्चों के साथ वार्तालाप बंद न करें | उन्हें जीने की कला सिखाएँ | जानवरों से,प्रकृति से प्रेम करना सिखाएँ | उनकी प्रशंसा का कोई अवसर हाथ से न जाने दें | गलती करने पर सबके सामने उन्हें न डांटे बल्कि अकेले में समझाएँ| बच्चों को बिना शर्त के प्यार करें | उन्हें सकारात्मक वातावरण प्रदान करें | अपने बच्चे की तुलना किसी के बच्चे से न करें विशेषकर अपने सगे भाई-बहनों के साथ | बच्चों के साथ पिकनिक पर जाएँ उनके स्कूल के फंक्शन पर और पी.टी.एम . पर जरुर जाएँ| बच्चों को समय समय पर पुरस्कार भी दें | छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ देकर उनके महत्वपूर्ण होने का अहसास करवाएँ| किशोरावस्था वाले बच्चों की एकान्तता का आदर करें | उनकी चीज़ों में तांक-झाँक न करें | अनुचित अपेक्षाओं का भार अपने ननिहालों पर न डालें| बच्चे तो गीली मिट्टी की तरह होते हैं, वे मासूम होते हैं आप जैसा व्यवहार अपने बच्चों के समक्ष प्रस्तुत करेंगे बच्चे उसी व्यवहार को ही जीवन में अपनाएँगे| इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के समक्ष आदर्श व्यवहार प्रस्तुत करके अपने जीवन को खुशियों से भर दें |

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